हिंदी दिवस के अवसर पर यह सोच कर अच्छा लग रहा है, कि मेरी पढाई एक हिंदी भाषी स्कूल में हुई. इससे मेरी अंग्रेजी कमज़ोर नहीं हुई, पर हिंदी ज़रूर आज तक मज़बूत है.
आज भी मैं हिंदी उपन्यास पढ़ती हूँ, हिंदी अंको को पहचानती हूँ (कई लोगों को यह मुश्किल लगता है), और हिंदी की बारीकियों को समझ सकती हूँ. हिंदी कविताओं का एक अलग आनंद है. साथ ही, इससे उर्दू समझने में भी आसानी होती है.
इसका बहुत सा श्रेय मम्मी को जाता है. एक ऐसे समय में, जब हर कोई सोचता है कि अंग्रेजी स्कूल ही अच्छे हैं, उन्होंने एक स्कूल के माध्यम से ज्यादा उसमें पढाई के स्तर को अहमियत दी. साथ ही लगातार हमें हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में ज्यादा से ज्यादा पढने के लिए प्रेरित किया.
साथ ही मेरे स्कूल, 'सरस्वती शिशु मंदिर' और बनस्थली विद्यापीठ को बहुत, बहुत धन्यवाद. उनके सिखाये हुए सिद्धांत उम्र भर मेरे साथ रहेंगे.
3 comments:
wow.. your command over the English language is really really impressive for someone who has done her primary education in a Hindi medium school..
haha, thanks Divesh. I think the many, many books I've read over the years have a big role to play here :)
Lajawaab kahoon ki behtareen?! :)
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